साहित्य सृजन में चंद्रकुंवर बर्त्वाल का महत्वपूर्ण योगदान – न्यायमूर्ति पुरोहित

by

गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिला मुख्यालय पर हिंदी दिवस पर आयोजित सेमिनार में उत्तराखंड हाईकोर्ट न्यायाधीश पंकज पुरोहित ने कहा कि हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने में प्रकृति के चितेरे कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल का योगदान हमेशा याद रहेगा।

जिला प्रेस क्लब सभागार में हिन्दी दिवस पर हिन्दी और चंद्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्य पर आयोजित सेमिनार  में बतौर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति पुरोहित ने कहा कि  28 वर्ष की अल्प आयु में चंद्रकुंवर बर्त्वाल ने साहित्य का अदभुत सृजन कर हिन्दी साहित्य को बढ़ावा देने में अद्वितीय योगदान दिया। कहा कि चंद्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्य में यथार्थ  तथा छायावाद का बेहतर मिश्रण है। उन्होंने कहा कि चंद्रकुंवर बर्त्वाल ने अल्प आयु में ही जिस प्रकार हिंदी साहित्य जगत को अपना योगदान दिया है वह आज के परिपेक्ष में भी प्रेरणा दायक है। उन्होंने हिंदी और चंद्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्य को एक दूसरे का प्रतिबिंब बताया। कहा कि चंद्रकुंवर  बर्त्वाल के साहित्य को युवा पीढी तक पहुंचाने की जरूरत है।

कार्यक्रम में मौजूदा साल में प्रकृति के चितेरे कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल गढ़ प्रतिभा सम्मान से जाने माने कवि व कलश संस्था के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल को नवाजा गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार मंगला कोठियाल ने कहा कि सेमवाल की अब तक साहित्य को लेकर चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने उत्तराखंड के कवियों को राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित को भी हिंदी सम्मान से नवाजा गया ।

इस दौरान जिला सत्र एवं न्यायाधीश विध्याचंल सिंह ,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सचिन कुमार पाठक,  न्यायिक मजिस्ट्रेट व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पुनीत कुमार ,उपजिलाधिकारी राजकुमार पांडेय ,मुख्य कानूनी रक्षा परार्मशदाता समीर बहुगुणा, पूर्व  मनरेगा लोकपाल शेखर रावत, पूर्व शासकीय  अधिवक्ता पोक्सो मोहन पंत आदि मौजूद  रहे।

हम एक दिन किसी से प्यार कर बैठे……..

गोपेश्वर। हिंदी दिवस पर कवि सम्मेलन में दिवंगत चंद्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाओं की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया। हास्य कवि मुरली दीवान ने बुढापे में हम एक दिन किसी से प्यार कर बैठे……..,रचना के माध्यम से श्रोताओं को गुदगुदाया। उन्होंने वैसे तो कई गढ़वाली व्यंग व कविताओं का वाचन किया लेकिन सबसे ज्यादा तालियां उनकी प्यार कर बैठे रचना पर बजी। इस अवसर पर स्व चंद्रकुंवर बर्त्वाल  की रचनाओं को  लेकर कलश’ संस्था के संयोजक ओमप्रकाश सेमवाल ने अपनी प्रस्तुति में चंद्र कुंवर  रे पूरो सम्मान अभि नि पाई…, के माध्यम से साहित्य जगत में चंद्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्य को विशिष्ट स्थान न मिलने की पीडा बंया की। रामेश्वरी पुरोहित ने पर्यावरण बचाना है नदियां बचानी हैं पर प्रस्तुति देकर आपदा से  थराली व धराली में नुकसान की पीडा रखी, जय विशाल गढ़देशी ने दारु दराम कुहराम संगति मच्यूं…., बृजेश रावत ने  ब्यो मा बिना दारु का कुछ नि ह्वे सकद….., बाल कवि कार्तिकेय तिवारी पैलि गौं मा सब कुछ होंद छौ अब कुछ नि रै….. की प्रस्तुति देकर लोगों के सामने शराब के दुष्प्रभावों को व्यंग के माध्यम से रखा।  विद्या सेमवाल ने खुदेड गीत राजी रंया ,दणखिंणा डांडी गाकर सबको भावुक कर दिया। न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित ने भी अध्यक्षीय संबोधन के बाद प्रसिद्ध गायककार मुकेश कुमार का गीत चंदन सा बदन…  गाकर कार्यक्रम की सार्थकता को बढाई। अंग्रेजी के प्रो डीएस नेगी ने ओखण , महाविद्यालय प्रवक्ता डॉ डीएस कंडारी डॉ शिव चन्द्र सिंह रावत, सहित कई अन्य नागरिकों ने  कविता पाठ व संबोधन के माध्यम से चंद्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाओं पर चर्चा की।

Related Posts