जानें सहजन यानि मोरिंगा के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी, इसके सेवन से होते हैं यह चमत्कारी फायदे

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रूडकी / हरिद्वार : खाने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए पोषक तत्वों से भरपूर ऐसा खाना मिले तो दिन अच्छा बन जाता है, क्योंकि हमें अपने खाने में सिर्फ हेल्थी फूड नहीं बल्कि टेस्ट भी पूरा चाहिए होता है और सच मानिए तो हमारे देश में ऐसी बहुत सी सब्जियां हैं, जो कई गुणों से भरपूर होती हैं. आसानी से बाजार में उपलब्ध होती है. हम ऐसी ही एक सब्जी के बारे में बता रहे हैं जिसके फूल, पत्तियां और फल गजब का फायदेमंद माना जाता है. इसके लगातार सेवन से व्यक्ति हमेशा चुस्त-दुरुस्त और जवां रह सकता है.

सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है. इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है. फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है. दक्षिण भारत में व्यंजनों में इसका उपयोग खूब किया जाता है. सहजन (सौंजणा) या मोरिंगा के पौधे की छाल, फूल, फली सभी औषधीय गुणों से भरपूर है इसके साथ ही सहजन की पत्तियां पशुओ के लिए चारे का उत्तम साधन है. सहजन की पत्तियों का चारा खाने वाले दुधारू पशुओ के दूध में भी पौष्टिकता अधिक पायी जाती है. कई जगहों पर पशुओ के चारे के लिए इसकी खेती की जाती है. सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है . इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं. यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है. दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है.

उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है. सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है. इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है. भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं. इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं. सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं. सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है. सहजन में दूध की तुलना में 04 गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है.

जाने सहजन यानि मोरिंगा के बारे में

सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है. इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है. फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है. दक्षिण भारत में व्यंजनों में इसका उपयोग खूब किया जाता है. सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं. इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं.

चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है. कुपोषण, एनीमिया (खून की कमी) में सहजन फायेदमंद होता है. करीब पांच हजार साल पहले आयुर्वेद ने सहजन की जिन खूबियों को पहचाना था, आधुनिक विज्ञान में वे साबित हो चुकी हैं. देश के अपेक्षाकृत प्रगतिशील दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है.

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय

औषधीय गुणों से भरपूर है सहजन यानि मोरिंगा

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय बताते है कि इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं. इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं. चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है. यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है. इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है. सहजन के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और खतरनाक संक्रमण से भी बचा जा सकता है.  इसके अलावा पेट में दर्द, अल्सर आदि को भी दूर किया जा सकता है. वहीं, यह सब्जी लीवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करने, तनाव, चिंता दूर करने, थायराइड फंक्शन में सुधार करने और ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने का भी काम बखूबी करती है

गठिया का ईलाज है सहजन

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय बताते है कि सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका, गठिया में उपयोगी है. सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है. छाल का उपयोग शियाटिका, गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है. सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है.

इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है. सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है. सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है. सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है. सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.

पथरी में भी लाभदायक होता है सहजन

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है. सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है. सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है. सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है. सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.

सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है. सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है. सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है. सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है. पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है. यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है. सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है. सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है. विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से. अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें. इससे जकड़न कम होगी.

वजन घटाने में मददगार

सहजन की पत्तियों के सेवन सेवजन घटाने में मदद मिलती है. इसमें एंटी-ओबेसिटी गुण पाए जाते हैं, जो बढ़ते वजन को कम करने के साथ शरीर को हेल्दी रखते हैं. वजन को कम करने के लिए इसको चबाकर या पानी में उबालकर पिएं. सहजन की पत्तियां शरीर के लिए फायदेमंद होती है. हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछकर ही इसका सेवन करें.

 

इम्यूनिटी बनाएं मजबूत

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय बताते है कि सहजन की पत्तियों को खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है. इन पत्तियों में विटामिन सी पाया जाता है, जो मौसमी बीमारियों का खतरा कम करने के साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. सहजन की पत्तियों के खाने से वायरल बीमारियों का खतरा कम होता हैं.

रक्त साफ करने के साथ हड्डियों को भी मजबूत करता है सहजन

सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है. इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है.सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है. इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है. सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है. इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है. इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है. सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है. पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा.सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं. सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है. इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है.

आंखों के लिए फायदेमंद

सहजन की पत्तियों में भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने के साथ आंखों को हेल्दी भी रखता है. सहजन की पत्तियों के सेवन से आंख संबंधी परेशानियां भी कम होती हैं.

हड्डियों को मजबूत बनाता है

सहजन की पत्तियों को खाने सेहड्डियों को मजबूती मिलने के साथ हड्डियां संबंधित बीमारियां भी कम होती हैं. इन पत्तियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है. अगर आपको हड्डियों में दर्द की समस्या है, तो डाइट में सहजन को पत्तियों को शामिल करें.

त्वचा रोग के इलाज में सहजन का विशेष स्थान

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय आयुष मिशन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि सौंजणा (सहजन) का त्वचा रोग के इलाज में विशेष स्थान है. सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं. अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है. बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं. सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है. इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है. सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है. सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है. त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है. सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं. सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है.मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है. धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है.

क्या कहते है चिकित्सक

शिग्रु या सहजन आयुर्वेद में अपने विविध गुणों के कारण महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके गुणों में मधुर रस (स्वाद), गुरु, रूक्ष और तीक्ष्ण गुण शामिल हैं। इसकी वीर्य शीत (ठंडी) है, जबकि विपाक भी मधुर होता है। आयुर्वेद में शिग्रु को मुख्य रूप से चक्षुष्य (नेत्रों के लिए लाभकारी), मेदोहार (वसा को कम करने वाला), पित्तहर (पित्त दोष का शमन करने वाला), वातहर (वात दोष का शमन), कृमिहर  (कीड़े नष्ट करने वाला), बृंहण (शरीर को पोषण देने वाला) और शिरोविरेचक (सिर की सफाई करने वाला) कहा गया है। सहजन के पत्ते, बीज और जड़ सभी हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह शरीर के तीन दोषों – वात, पित्त, और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। इसके सेवन से हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है। सहजन में सूजन कम करने के गुण होते हैं, इसलिए इसे जोड़ों के दर्द और सूजन में लाभकारी पाया गया है। यह पेट के कीड़ों को खत्म करने, पाचन सुधारने और वजन नियंत्रित करने में भी सहायक है। इसके नियमित सेवन से आंखों की सेहत में भी सुधार होता है और यह त्वचा रोगों में भी लाभकारी है। शिग्रु का उपयोग कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है, जैसे – रत्नागिरी रस, विशतिंदुक तेल, वरुण शिग्रु क्वाथ और एकांगवीर रस। आम तौर पर सहजन के ताजे पत्तों का रस 10-20 मिलीलीटर मात्रा में लिया जा सकता है। यह रस शरीर को शुद्ध कर, ऊर्जा बढ़ाता है।

डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय
बी.ए.एम.एस., पी.जी. (सी.आर.), पी.एचडी.
निर्माण वैद्य (वरिष्ठ चिकित्साधिकारी), ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी हरिद्वार।
नोडल अधिकारी – मास्टर ट्रेनर (राष्ट्रीय आयुष मिशन)
वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक, ऋषिकुल कैंपस, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हरिद्वार।

कहते हैं स्वामी जी 

रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल के पूज्य संत दिलीप महाराज बताते हैं कि सहजन, जिसे मोरिंगा या साहिजन भी कहते हैं, महिलाओं और बच्चों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है। महिलाओं के कई रोग, जैसे मासिक धर्म की अनियमितता, एनीमिया, और हड्डियों की कमजोरी, सहजन के सेवन से नियंत्रित किए जा सकते हैं। सहजन की पत्तियों में प्रचुर मात्रा में आयरन, कैल्शियम, और विटामिन्स होते हैं, जो महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं और शरीर में पोषण की कमी को दूर करते हैं।
बच्चों के विकास में भी सहजन उपयोगी होता है, क्योंकि यह बच्चों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है। इसके सेवन से बच्चों की हड्डियाँ मजबूत होती हैं और उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। दिलीप महाराज अपने भक्तों को सहजन की पत्तियों का रस, पत्तों का पाउडर और सहजन की जड़ का उपयोग करने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि सहजन का रस पेट की समस्याओं और पाचन में सुधार लाता है, जबकि पत्तों का पाउडर हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। सहजन की जड़ भी कई प्रकार के संक्रमण और सूजन में लाभकारी मानी जाती है। इस तरह, सहजन एक संपूर्ण औषधि है जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में सहायता करता है और महिलाओं और बच्चों को स्वस्थ और सशक्त बनाए रखता है, यह स्नायु एवं नसों की बीमारी में भी अत्यंत लाभकारी है।

सहजन खाने के फायदे

  • सहजन आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी मदद करता है.
  • रोग प्रत‍िरोधक क्षमता मजबूत होती है.
  • कैल्‍श‍ियम में भरपूर होने की वजह से साइटिका, गठिया में सहजन का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है.
  • सुपाच्‍य होने की वजह से सहजन लि‍वर को स्वस्थ रखने में भी ये बहुत कारगर होता है.
  • पेट दर्द या पेट से जुड़ी गैस, अपच और कब्ज़ जैसी समस्‍याओं में सहजन के फूलों का रस पीएं या इसकी सब्जी खाएं. या इसका सूप पीएं. ज्यादा फायदा चाहिए तो दाल में डालकर पकाएं.
  • आंखों के ल‍िए भी सहजन अच्‍छा है. जिनकी रोशनी कम हो रही है हो तो सहजन की फली, इसकी पत्तियां और फूल का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए.
  • कान के दर्द को दूर करने में भी सहजन बहुत काम आता है. इसके लिए इसकी ताजी पत्तियों को तोड़ कर उसका रस की कुछ बूंदें कान डालने से आराम मिलता है.
  • जिन्हें पथरी की समस्या हो उन्हें सहजन की सब्जी और सहजन का सूप जरूर पीना चाहिए. इससे पथरी बाहर निकल जाती है.
  • छोटे बच्चों के पेट में यदि कीड़े हों तो उन्हें सहजन के पत्तों का रस देना चाहिए.
  • दांतों में कीड़े हों तो इसकी छाल का काढ़ा पीना चाहिए. सहजन ब्लडप्रेशर को सामान्य करता है.
  • दिल की बीमारी में भी यह बहुत फायदेमंद होता है. कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है. इस तरह सहजन आपकी सेहत के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो सकता है. हालांक‍ि आपको डॉक्‍टर से भी सलाह जरूर लेनी चाह‍िए.

सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना

  • विटामिन सी – संतरे से 07 गुना
  • विटामिन ए – गाजर से 04 गुना
  • कैलशियम – दूध से 04 गुना
  • पोटेशियम – केले से 03 गुना
  • प्रोटीन – दही की तुलना में 03 गुना

सहजन के पोषण तत्‍व

  • विटामिन-ए- 6.78 मिलीग्राम
  • विटामिन-सी – 220 मिलीग्राम
  • आयरन- 0.85 मिलीग्राम
  • फाइबर- 0.90 मिलीग्राम
  • राइबोफ्लेविन- 0.05 मिलीग्राम
  • कैल्शियम- 440 मिलीग्राम
  • थायमिन- 0.06 मिलीग्राम
  • फैट- 1.70 मिलीग्राम
  • कैलोरी- 92
  • कार्बोहाइड्रेट- 12.5 ग्राम
  • प्रोटीन- 6.70 ग्राम

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